नोएडा: लोग पैसा कमाने के पीछे इतने पागल हो गए हैं की इन लोगों को अपनी संस्कृति से हो रहे छेड़ छाड़ भी नही दिखाई देते। देगा भी क्यों, आखिर इन्होंने संस्कृति को जाना ही कब। आखिर जिसका बाप ही अपने बेटी से शादी करना चाहता हो, जिसका बाप सरेआम मैगजीन में अपने बेटी को किस करते हुए फोटो छपवाता हो, उसे आखिर कन्यादान का क्या ही मालूम होगा। जिसके आठ - दस यार हो, जो पैसों के लिए नंगा नाच करती हो उसे कन्यादान के विषय में क्या ही पता होगा ? चलिए छोड़िए, जानतें हैं कन्यादान क्या होता है ?
महेश भट्ट अपनी बेटी के साथ लिपलॉक करते हुए |
विवाह क्यायाहोता है ?
हिन्दू धर्म में; सद्गृहस्थ की, परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने के योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक-युवतियों का विवाह संस्कार कराया जाता है। समाज के सम्भ्रान्त व्यक्तियों की, गुरुजनों की, कुटुम्बी-सम्बन्धियों की, देवताओं की उपस्थिति इसीलिए इस धर्मानुष्ठान के अवसर पर आवश्यक मानी जाती है कि दोनों में से कोई इस कत्तर्व्य-बन्धन की उपेक्षा करे, तो उसे रोकें। पति-पत्नी इन सन्भ्रान्त व्यक्तियों के सम्मुख अपने निश्चय की, प्रतिज्ञा-बन्धन की घोषणा करते हैं। यह प्रतिज्ञा समारोह ही विवाह संस्कार है। विवाह संस्कार में देव पूजन, यज्ञ आदि से सम्बन्धित सभी व्यवस्थाएँ पहले से बनाकर रखनी चाहिए।